वाराणसी, भारत के रेड लाइट एरिया में एक एनजीओ द्वारा संचालित शैक्षणिक केंद्र है जो कमजोर वर्ग के स्थानिक बच्चों को आर्ट थेरेपी उपलब्ध करवाता है।
फ़िल्म
वाराणसी के रेड लाइट एरिया के मुश्किलों से घिरे इन बच्चों को सौम्य और हितैषी मार्गदर्शन के बहुत कम अवसर मिलते हैं। मानव तस्करी और पीढ़ियों से चली आ रही वेश्यावृत्ति उनको घेरे हुए हैं। इससे लड़ने के लिए सन 1993 में एक स्वैच्छिक संस्था गुड़िया ने शहर के मध्य में एक शैक्षणिक केंद्र की स्थापना की। इसकी रचना का उद्देश्य मार्गदर्शन और सहयोगी आर्ट प्रैक्टिस के माध्यम से इन बच्चों को आत्म निरीक्षण करने में, घावों से उबरने में, एकजुट होने में और अपने आसपास की दुनिया से जुड़ने में मदद करना था। अभ्यास के उपरांत गुड़िया का मॉडल इन बच्चों के लिए आशा रखता है कि वे बड़े होकर अपने दम पर समुदाय को ध्यान में रखने वाले लीडर बने और जो कुछ उन्होंने सीखा है उसका जितना संभव हो सके उतना प्रसार करे । इसके माध्यम से गुड़िया सामाजिक एकता के क्षेत्र में पूरे भारत में और इस डॉक्यूमेंट्री जैसे स्पॉटलाइट्स के माध्यम से पूरे विश्व में एक बड़ा योगदान देने की चाह रखता है।
अनु जो कि वाराणसी में गुड़िया के सेंटर की दैनिक गतिविधियों का संस्था के संस्थापक अजीत के मार्गदर्शन में संचालन करती है, उनके सामने आ रही समस्याओं और अवरोधों का आलेखन वाटर फॉर बर्ड्स में किया गया है। एक भूतपूर्व विद्यार्थी अनु गुड़िया की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है, जो उनके मिशन को विश्वसनीयता प्रदान करता है। अनु वाराणसी के लोगों के प्रति प्रतिबद्ध है, विशेषकर रेड लाइट एरिया में बस रहे लोगों के प्रति, और वह प्रचंड स्व विकास का उदाहरण है।
हालांकि उनपर इस का बुरा असर भी हुआ है। थका देने वाले इस काम से उनके स्वास्थ्य को हानि पहुंची है। पूरा दिन वह कामों में व्यस्त रहती है और कई रात सो नहीं पाती। फिल्म में एक बिंदु पर, उनके इस संघर्ष को फोकस में लाया गया है, जब एक व्याकुल मा उनके पास सलाह के लिए आती है जो रेड लाइट एरिया में सामान्य तौर पे पाई जाती दुविधा में फंसी है| अनु को प्रतिदिन इस प्रकार की अनिश्चितताओ से भरी स्थितियों से जूझना पड़ता है। यह स्थितियां गुड़िया ने अपने जीवन को बेहतर बनाने चले उन कई घायल बच्चों में आशा लौटाने का जो कठिन लक्ष्य अपने लिए तय किया है उसी का एक भाग है।
गुड़िया
गुड़िया १९९८ में उसके आरंभ से ही समूचे उत्तर भारत में मानव तस्करी और पीढ़ियों से चली आ रही वेश्यावृत्ति के सामने लड़ रही है। यह आपराधिक व्यवसाय भारतीय समाज की सबसे खतरनाक व्यवस्थागत समस्याएं, गरीबी और लिंग भेद को दर्शाता है और उनको मजबूत करता है। गुड़िया योग्य तीव्रता के साथ दोषितो का पीछा करती है। लड़कों और लड़कियों को छुड़ाया जाता है; वेश्या गृहो को जप्त किया जाता है; मानव तस्करों और दलालों की पहचान की जाती है, गिरफ्तार किया जाता है और उन पर मुकदमा चलाया जाता है। और गुड़िया यही पे नहीं रूकती। वे जनहित याचिका के माध्यम से राजनीति में फैले हुए भ्रष्टाचार को उजागर करते हैं और चुनौती देते हैं, जमीनी सहयोग को सक्रिय करते है और ज़ोखिमग्रस्त समुदायों को पुनः स्थापन की सेवाएं देते हैं। यह तंत्र बड़ा विशाल है, परंतु उनकी फिलोसोफी बहुत स्पष्ट है। उनकी पूरी व्यूह रचना मानव तस्करी और जबरन वेश्यावृत्ति को मूलभूत स्तर, शिक्षा पे काम करके कमजोर बनाना है।
गुड़िया की कल्पना ऐसे सामंजस्यपूर्ण समुदायों की है जिसके सभ्य स्व आश्वस्त हो और अपने आसपास की दुनिया से जुड़े हुए हो। उनके शैक्षणिक प्रयास इसी को प्रोत्साहन देने का प्रयत्न है। अगर जोखिमग्रस्त समुदायों को यह साधन दिए जाते हैं तो गुड़िया के स्वप्न के अनुसार वह ना सिर्फ अपराधियों के शोषण से खुद को बचा सकेंगे परंतु अपने आसपास की सामाजिक परिस्थितिओ को सुधारने में अपने ज्ञान का सक्रिय उपयोग कर सकेंगे। पिछले २५ वर्षों के दौरान विकसाया गया ये मॉडल मापनीय है और हालांकि काफी धीमी गति से परंतु पूरे देश में इसको दोहराया जा रहा है। १९९३ में अजीत का प्रथम शिक्षा केंद्र ५ विद्यार्थियों के साथ शुरू हुआ था। अब गुड़िया ४ केंद्रों में सैकड़ों विद्यार्थियों की देखभाल कर रहा है। अधिक सहायता मिलने पर वे सैकड़ों और विद्यार्थियों की देखभाल करना शुरू कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, गुड़िया प्रत्यक्ष है। उनकी सिद्धियां एवं प्रवृत्तियों की सूची बड़ी लंबी है, जिस का विस्तृत विवरण उनकी वेबसाइट पर संबंधित विभाग में मौजूद है। दुर्भाग्यवश उत्तर भारत में इन्होने जो शिक्षण केंद्र शुरू किए हैं और शुरू करने जा रहे हैं उन विषयों में इनके काम से लोग वाकिफ़ नहीं है। यहां से वाटर फॉर बर्ड्स की भूमिका आरम्भ होती है।
मिशन
हम आशा करते हैं कि वाटर फॉर बर्ड्स उसकी विश्वसनीय और अभूतपूर्व पहुंच के माध्यम से दर्शकों को जकड़ कर रखेगी और उन्हें सक्रिय करेगी। हम चाहते हैं कि दर्शक समालोचनात्मक ढंग से सोचें, और फिल्म और उसके सब्जेक्ट की जिंदगी जिन समस्याओं के इर्द-गिर्द घूमती है उनके साथ भावनात्मक और भौतिक रूप से जुड़े। गुड़िया के बच्चों को यही करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और फिल्म के निर्माण के दौरान हमने भी यही करने का प्रयास किया। अधिक सहायता मिलने पर हम गुड़िया के शैक्षणिक केंद्रों में पनपने वाली सम्मोहक कहानियां और उनके साथ जुड़ी हुई फिलोसोफी को दर्शकों के हो सके उतने बड़े वर्ग तक पहुंचाने की चाह रखते हैं। ऐसा करके हम,
भारत में कार्यरत मानव तस्करी विरोधी लॉबी, जिनमें सरकारी प्रयत्न भी शामिल है उनको वाटर ऑफ बर्ड्स की आवाज देना चाहते है;
दर्शकों को मानव तस्करी की जटिल प्रकृति और परिणाम स्वरूप उससे लड़ने के लिए समग्रतया बहुपरिमणीय दृष्टिकोणों की जो आवश्यकता है, उसको बेहतर ढंग से समझने में मदद करना चाहते हैं;
भारतीय सेक्स वर्कर और रेड लाइट एरिया के बच्चों, जिनके बहिष्कार को 'अछूत' के सामाजिक सांस्कृतिक लेबल के नीचे सामान्यीकृत किया गया है, उन्हें कलंक रूप देखने की मानसिकता को हटाने में मदद करना चाहते हैं।
हमारी एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य गुड़िया की शैक्षणिक सुविधाओं को लेकर है। अब तक गुड़िया ने उत्तर भारत में कुल ४ केंद्र शुरू किए हैं, जिसमें ३५० से ज्यादा बच्चों की देखभाल की जाती है। हम गुड़िया के शैक्षणिक केंद्रों को अधिक सहायता पाने में, डोनेशन या फिर नॉनमोनेटरी सहाय के माध्यम से, मदद करना चाहते हैं, ताकि उनके असरकारक, सौम्य विचार को संभव हो उतना फैलाया जा सके। हम उनको उनका प्रभावशाली कार्य, जो हमने उनको प्रतिदिन करते हुए देखा है उस को बढ़ावा देने में मदद करना चाहते हैं, जिससे कई सारी जिंदगीयो को फायदा हो सके, अन्यथा यह शायद भारत और विश्वमें कहीं और भी छुपी हुई होती या फिर नजरअंदाज की गई होती।
बड़े पैमाने पर, गुड़िया के शैक्षणिक दृष्टिकोण, जिन्हें फिल्म में दर्शाने का प्रयास किया गया हैं, शायद विश्व भर में शिक्षा की नीति और प्रक्रिया के बारे में हो रही चर्चाओं में कुछ प्रदान कर सके। उनके केंद्रों पर गुड़िया की देखभाल में रहे बच्चों को मुश्किल बाह्य परिस्थितियों के बावजूद भी खुलकर सोचने के लिए, आत्मनिरीक्षण करने के लिए और उनके विचारों के साथ ज्यादा सहज होकर विकास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसी प्रासंगिक तात्कालिकता होने के बावजूद भी उन्हें जो प्रोत्साहन मिलता है वह सौम्य और व्यक्तिगतरूप से निर्मित है। और वे विद्यार्थियों को अगर किसी प्रकार के सांचे में ढालने का प्रयत्न करते हैं तो वह स्व जागरुकता, शोषण के प्रति जागरुकता और पर्यावरणीय संवेदनशीलता का ही है। गुड़िया एक विचारधारा को दूसरी विचारधारा से बदलने के बदले दिमाग को मुक्त करने में ज्यादा रुचि रखता है। हमें विश्वास है कि विश्वभर के स्कूल, चाहे वे समान प्रकार के वातावरण में काम करते हो या ना हो, ग्रेड और करिकुलम से ऊपर उठकर अपने बच्चों के भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारने में समान रूप से रुचि रखते हैं। हालांकि शाश्वत प्रश्न यह है कि यह कैसे किया जाए?
हमारा मानना है कि वाटर फॉर बर्ड्स इसके जवाब का एक हिस्सा बन सकता है।
अजीत का संदेश
वाटर फॉर बर्ड्स निष्पक्ष रुप से दर्शाती है कि हमारी संकल्पना पियर लर्निंग के माध्यम से असरकारकतापूर्वक प्रसारित हुई है और हमारे कुछ पूर्व विद्यार्थी सातत्यपूर्ण ढंग से नई पीढ़ी को योगदान दे रहे हैं। फिल्म सबके लिए ज्ञान और बुद्धिमत्ता के बीच के अंतर को उजागर करने का एक सरल साधन बनी है, ताकि वे दिल और दिमाग को जोड़ सके।
फिल्म रिप्पल इफेक्ट पैदा करने में सक्षम है, और पहले खुद पर काम करने के बाद बलात्कार, बाल वेश्यावृत्ति और सेक्स ट्रैफिकिंग से मुक्त समाज के निर्माण पर काम करने के मुद्दे को आगे ले जा सकती है। इस समूचे अस्तित्व के साथ जुड़ने के लिए, इसके प्यार में गिरने और सिकुड़ने के लिए अपने आप पर कला के रूपों का इस्तेमाल करना बहुत जरुरी है।
अजीत सिंह, संस्थापक
वाराणसी, अप्रैल 2019
निर्देशक का निवेदन
हम बहुत भाग्यशाली रहे। गुड़िया ने उनके एक दूसरे से मजबूती से जुड़े परिवार में हमारा दिल से स्वागत किया। अजीत और उनकी टीम ने उनके संस्था की कहानी बिना किसी बदलाव किए शुद्ध रुप से कहने के लिए हम पर विश्वास किया। प्रोडक्शन के १२ सप्ताह के दौरान हम धीरे-धीरे करके सेक्स इंडस्ट्री से परिचित हुए। इस प्रक्रिया ने एजेंसी, दोष और जवाबदेही के बारे में हमारे विचारों को नए ढंग से चुनौती दी: हम किसी बच्चे को डूबने के लिए दोष नहीं दे सकते अगर हमने कभी उसको तैरना सिखाया ही नहीं।
हमने इस कहानी को बच्चों के नजरिए से दिखाने का विकल्प पसंद किया है और यह लोकल सेक्स इंडस्ट्री और इसके वर्करों की समस्याओं से ज्यादा गुड़िया के शैक्षणिक मॉडल की हकारात्मक असरो पर केंद्रित है। गुड़िया के जिस काम से हम सबसे ज्यादा प्रभावित हुए वह उनका स्कूलिंग है, और संयोगवश इस पहलू के बारे में सबसे कम बात हुई है। वाटर फॉर बर्ड्स के पीछे कोई एजेंडा नहीं है, सिवाय के हो सके इतनी सच्चाई से कहानी दर्शाना। निरिक्षणात्मक दृष्टिकोण, जो पाने में गुड़िया ने हमारी सहायता कि वह इस में महत्वपूर्ण रहा है।
यह काम लो और खत्म करो प्रकार का प्रोजेक्ट नहीं था। हमें बहुत कम अपेक्षाएं थी। कोई स्क्रिप्ट नहीं थी। हम सुनने, सीखने और प्रश्न करने के लिए उत्सुक थे, और अजीत और उनकी टीम बोलने के लिए उत्सुक थी। वास्तव में बस यही था। परिणामस्वरुप, फिल्म की कोई मंजिल नहीं है। तस्वीरें, साउंडट्रेक, आवाज़े - वाटर फॉर बर्ड्स का हर एक तत्व संवाद करता है और कहानी, जो खुद गंगा की तरह बह रही है उसको एक ऊंचाई देता है। इस तरीके से, हमारा मानना है कि ज्ञान शिक्षक से विद्यार्थी और विद्यार्थी से दर्शक तक कुदरती रुप से पहुंचता है।
क्रेडिट
निर्माण कंपनी
गुड ग्रिफ
निर्देशक
हेनरी गोस्पर / कैमरून ट्रैफर्ड
सहायक निर्माता
ट्रेंट बॉरो
फील्ड निर्माता
अमन आनंद
ध्वनि रिकार्डर
एंड्रयू रिचर्ड्स
छायाकार
हेनरी गोस्पर / कैमरून ट्रैफर्ड
फोटोग्राफर
जैक नेल्सन
इलस्ट्रेटर
विल मेक्रो
कोपी राईटर
गस मैकडोना / फेलिक्स गार्नर डेविस